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नगरीय ठोस कचरा प्रबंधन

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  देशभर में इन दिनों प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने और बेहतर  वेस्ट मैनेजमेंट  के जरिए प्रदूषण पर कंट्रोल करने की पहल की जा रही है। अगर हम थोड़ी-सी कोशिश करें तो बेकार चीजों का बेहतर तरीके से निस्तारण कर सकते हैं और पर्यावरण में अहम योगदान दे सकते हैं। इस बारे में एक्सपर्ट्स से बातचीत कर जानकारी दे रहे हैं राजेश भारती सिंगल यूज प्लास्टिक  ज्यादा खतरनाक यों तो प्लास्टिक खतरनाक होता ही है, लेकिन सिंगल यूज प्लास्टिक सबसे ज्यादा खतरनाक है। यह सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल के लिए बनाई गई होती है। इनमें कैरी बैग, कप, पानी या कोल्ड ड्रिंक की बोतलें, स्ट्रॉ, फूड पैकेजिंग आदि आते हैं। 4R का करें प्रयोग R (Reuse):  किसी भी चीज को बेकार समझकर यों ही न फेंकें। हर चीज का दोबारा प्रयोग हो सकता है। बस थोड़ा दिमाग लगाने की जरूरत होती है। R (Reduce):  बेहतर होगा कि सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल धीरे-धीरे बंद कर दें और इसके विकल्पों जैसे जूट या कपड़े का थैला, कागज के लिफाफे आदि का इस्तेमाल करें। R (Recycle):  ऐसी चीजें जिन्हें रीसाइकल किया जा सकता है, उन्हें एक जगह इकट...

"प्लास्टिक के दुष्प्रभाव"

 प्लास्टिक यह एक ऐसा पदार्थ है जो कि हजारों सालों तक ज्यों का त्यों पड़ा रहता है अन्य पदार्थों की तरह विघटित नहीं होता है. जब से विज्ञान ने तरक्की की है मानव ने Plastic का निर्माण बहुत ज्यादा मात्रा में बढ़ा दिया है. मानव ने प्लास्टिक का निर्माण अपनी सुविधा के लिए किया था। लेकिन अब यही प्लास्टिक मानव के जीवन के साथ – साथ पृथ्वी के वातावरण के लिए भी खतरा पैदा कर रहा है. हमारे भारत देश में 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिदिन 15000 टन प्लास्टिक अपशिष्ट निकलता है.  जो कि दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व में इतना प्लास्टिक हो गया है कि इस प्लास्टिक से पृथ्वी को 5 बार लपेटा जा सकता है. और इस प्लास्टिक का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा महासागरों में फैला हुआ है। प्लास्टिक को बनाने के लिए कई जहरीले केमिकल काम में लिए जाते है जिसके कारण यह जहां भी पड़ा रहता है धीरे-धीरे वहां पर बीमारियो और प्रदूषण को जन्म देता है. प्लास्टिक मानव की दिनचर्या में इस तरह से शामिल हो चुका है कि ...

Treatment for legacy waste.

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मन मे आया एक विचार, जो आपको आपके लक्ष्य तक पहुंचा सकता है, जो आपको आपकी योजना में सफल बना सकता है, उसे तुरन्त अप्लाई कर दिया जाना चाहिए, इसकी प्रेरणा श्री मुकेश जी से लेना चाहिए, जो सोच लेते है वह प्रैक्टिकल रूप से करके दिखाने का मादा रखते हैं। जब इनसे इनकी वर्कशॉप में मुलाकात हुई तो, इन्होंने अपनी वर्कशॉप में कुछ मशीनों में मॉडिफिकेशन कर उपयुक्त उपकरणों को दिखाया तो जब इनसे सॉलिड वेस्ट बारे चर्चा चली तो उसके सम्बन्ध में भी, सकारत्मक जवाब दिया कि इसका भी जुगाड़ बन जायेगा, फिर किसी रोज जब इनसे मुलाकात हुई तो इन्होंने थ्रैशर मशीन को दिखाते हुवे कहा कि इस मशीन को मॉडिफाई कर सॉलिड वेस्ट/लिगेसी वेस्ट का निराकरण कर दिया जायेगा, फिर ये अपनी टीम के साथ जुट गए, एक मशीन को मॉडिफाई करने एवं लिगेसी वेस्ट को प्रोसेस करने वाली मशीन के निर्माण में आज इनकी वर्कशॉप में इसी उपकरण को लेकर काम जारी है, 1-2 दिन में मशीन बनकर तैयार हो जाएगी व उसे डम्पिंग साइट पर उपयोग में लाया जाएगा व डम्पिंग साइट में पड़े लिगेसी वेस्ट को समाप्त करने के लिए नगर पंचायत के द्वारा भरसक प्रयास किया जायेगा।🙏🌹🙏 सचिव...

मंडी शहर स्वच्छता में 01 नम्बर पर आने की अपार सम्भावनाये।

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स्वच्छता के मामले में नम्बर 01 के लिए मंडी में हैं अपार संभावनाएं। मंडी जिसे छोटी काशी नाम से भी जाना जाता है, पूर्ण रूप से भोले बाबा की धार्मिक नगरी है व इस शहर के लोग सिस्टम से जुड़े एवं अपने शहर से इंतहा प्यार करते हैं, यही कारण है कि मेरे छोटे से कार्यकाल में सैंकड़ो के करीब वोलिएन्टीर्स इस शहर में बन चुके है। हर कोई स्वच्छता जैसे सवेदनशील विषय मे गंभीर एवं जागरूक है, जमीन से जुड़ा एवं धरातल पर क्रियाशील है। उसके भीतर अपने जन्मभूमि को स्वच्छ एवं सुंदर देखने की चाह है। इन बातों की पुष्टि मैं आगे उनके द्वारा किये गए क्रियाकलापों से करना चाहूंगा: ■स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े मेरे कई मित्र/सहयोगी अपने ही घरों में गीले कचरे से खाद बनाने में आगे आने शुरू हो गए है, जिनमे विशेष रूप से श्री शरद मल्होत्रा, श्री अतुल ठाकुर, श्री पीयूष मल्होत्रा, श्री विनोद बहल, श्री मति सरिता हांडा, श्री मति अलकनंदा हांडा वर्तमान पार्षद हैं। ये अभ्यास आने वाले समय मे अपने शहर की स्वच्छता एवं सुंदरता को कायम करने में तो मददगार होगा ही, इसके अतिरिक्त जैविक खाद घर मे ही तैयार मिलेगी। इससे आप किचन गार्डनिंग का शौक...

IEC regd. Swachhta at Arunoday Sr. Sec. School Mandi

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आज के समय की मांग स्वच्छता में जागरुकता निरन्तर चलती रहे, ताकि हर जनमानस स्वच्छता के प्रति संजीदा रहे, जागरूक रहे। स्वच्छता के हर आयाम की जानकारी उसे हो। इसी संदर्भ में जिला प्रशासन मंडी के तत्वधान में अरुणोदय सीनियर सेकंडरी स्कूल में स्वच्छता जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। पेश है रिपोर्ट: आज दिनांक 29.11.2019 को जिला प्रशासन की ओर से श्री आशुतोष गर्ग स्थानीय प्रशासन की ओर से श्री मति सुमन ठाकुर अध्यक्षा, श्री पुष्पराज कात्यायन, श्री जितेंदर शर्मा, श्री बंसी लाल पार्षद नगर परिषद मंडी, श्री बी0 आर0 नेगी0 कार्यकारी अधिकारी श्री राजेश चौधरी सहायक अभियंता, श्री प्रदीप कुमार सफाई निरीक्षक एवं "मेरे अपने" से श्री विनोद बहल, श्री अनिल शर्मा, श्री रविकांत कपूर एवं श्री अजय कुमार के संयुक्त प्रयासों से नगर परिषद क्षेत्र के समस्त स्कूलों में स्वच्छता के सम्बंध में जागरूक किया जा रहा है, इसी कढ़ी में आज अरुणोदय सीनियर सेकंडरी स्कूल में स्वच्छता जागरूकता अभियान के तहत सॉलिड वेस्ट के निष्पादन की सभी विधियों से स्कूल प्रबंधन एवं बच्चों को जागरूक किया गया। इन विधियों...

स्वच्छता में जनसहभगिता जेल रोड वार्ड नं0 03 मंडी।

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हमने स्वच्छता की शपथ ली है, हम स्वच्छता के प्रति जिम्मेवार नागरिक है न गंदगी करेंगें व किसी को करने देंगें, सिस्टम से जुड़े हैं, अन्यों को भी सिस्टम से जोड़ेंगे, मानो ये विचार इस टीम के अंतर्भाव से प्रकट हो रहे हों।  🖕ये टीम है शिव शक्ति मंडल जेल रोड की व इन्होनें आज अपनी पार्षद श्री मति सिमरन जीत कौर के साथ मिलकर शिव मंदिर के आसपास की स्वच्छता को सुनिश्चित किया, स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है, इसी उद्देश्य को लेकर ये टीम जुटी है स्वच्छता को लेकर, ऐसी प्रक्रिया का होना नगर परिषद के लिये भी बड़ा गौरव का विषय है जब आमजन की आहुति इस स्वच्छता अभियान में डलती रहे व हमारा मिशन का कार्य तेजी के साथ आगे बढ़ता रहे। शिव शक्ति मंडल के समस्त टीम को एवं नगर पार्षद श्री मति सिमरनजीत कौर को इस नेक कार्य के लिये साधुवाद।

Avoid Plastic and Tharmokol

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हम भूलते जा रहे है, पुरानी परंपराओं को, पुराने रीति रिवाजों, इस आधुनिकता ने हमारी सामाजिक सरंचनाओं का काफी नुकसान किया है। एक परंपरा होती थी, भूमि पर खाना खाने की, हमने बारातों में भी ये परंपरा अपनी आंखों से देखी थी, जब दूल्हा व बाराती भूमि आसन लगा कर बड़े आनन्द के साथ खाना खाते थे, ये सब चीजें अब इतिहास सी बनती चली जा रही है। दूसरी बात खाना पत्तलों में सर्विस होता था, कितना सात्विक होता था व प्रकति से जुड़ाव दिखता था इंसान का, अब शहरों में पत्तलों का स्थान ले लिया है थर्मोलोल एवं प्लाटिक ने। सस्ता एवं सर्वसुलभ होने की वजह से इंसान ने इसे अपनाना चाहा, प्लेट्स के साथ-2 गिलास एवं चम्मच भी प्लास्टिक के होते हैं जो कि स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण तीनो के लिये नुकसानदेह/हानिकारक हैं, अब लोग इसे जानने लगे हैं कि थर्मोकोल एवं प्लास्टिक का दुष्प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर होता है, एक प्लास्टिक के कप में गर्मा-गर्म मिलने वाली चाय का स्वाद कैंसर का कारक बनता है, क्योंकि उसमें केमिकल लगा होता है व उसमे गर्म चाय डाले जाने से वह केमिकल हमारे शरीर मे प्रवेश कर जाता ह...