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Showing posts from May, 2019

Reuse of plastic waste

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* प्लास्टिक वेस्ट लड़ने/झूझने का एक तरीका ये भी👇 *   ग्रुप की सक्रिय सदस्य एवं वेस्ट मेटेरियल से स्वरोजगार उतपन्न करने में दक्ष @ ⁨Santosh Sachdeva Suhada Mohalla⁩ जी द्वारा वेस्ट बोटल से छोटे-2 पॉट्स बनाये गए हैं, जिनका उपयोग अपने घर मे पुदीना/तुलसी व अन्य पौधों को लगाने में अमल में लाया जा सकता है। इस अभ्यास से कितने लाभ होंगे, एक वेस्ट-प्लास्टिक का  रियूज़ पॉट्स के रूप में, घर की सुंदरता एवं मनोहारी एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से पौधों का लगाया जाना जिससे वातावरण स्वच्छ एवं हरा-भरा बनने में सहायता भी मिलेगी व घर के अनुपयोगी स्पेस का भी सदुपयोग हो पायेगा व अपना शौक/हॉबी भी पूरा होगा। अतः ऐसे उत्पाद को अपने घर की शौभा बढ़ाने में अपनी भूमिका  का निर्वाह करने की कृपा करें। इस पॉट की कीमत 30/- है।इसे प्राप्त करने के लिये मेरे नम्बर पर कॉल कर सकते हैै।🙏🌹🙏

Best Practices in waste minimization

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           "समय की मांग वेस्ट मिनिमाइसशन" समय की मांग है कि सॉलिड वेस्ट को डम्पिंग साइट पर अधिक बोझ न बनने दिया जाए, सरकारें इसी पद्दति पर काम करने लगी हैं व इसी संदर्भ में शहरी क्षेत्रों में Garbage Bulk Generator हैं, उनके लिए अलग से गाइडलाइन बन रही है, ये जरूरी भी है कि शहरों की डम्पिंग साइट की ओर पिछले समय मे सरकार इतना ध्यान नही देती थी, गरबेज प्रोसेसिंग की तरफ भी बहुत कम ध्यान था, परन्तु कुड़े के बड़े-बड़े पहाड़ अब हर किसी को सोचने के लिए विवश कर देते है कि आने वाली पीढ़ी का भविष्य क्या होगा। इसी क्रम को गति देते हुवे इंदिरा मार्किट से जो फ़ूड वेस्ट जीवनाशित कचरा उतपन्न होता था, उसको ठिकाने लगाने के लिए एक पिगरी फॉर्म के स्वामी से सम्पर्क कर बात कर ली गयी, वह स्वंम अपने वाहन में ये वेस्ट मार्केट से ले जाया करेगा व उसका उपयोग अपने पिगरी फॉर्म में करेगा। इस काम से एक साथ तीन समस्याओं का निदान हो गया, एक पिगरी फॉर्म वाले को एक ही स्थान से सुवरों के लिए खाना मिल गया, दूसरा bulk Garbage Generators की समश्या का निदान हो गया, नगर परिषद की लेबर का मानविकी श...

Vermicompost केंचुवा खाद

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"केंचुवा खाद" इसे वक्त की मांग कहिये या एक मजबूरी कहिये कि हमे अपनी उपज एवं मिट्टी में सुधार की जरूरत है, क्योंकी अधिक लाभ लेने के चक्कर मे एवं मांग की पूर्ति न होने पर आज का किसान भी यूरिया एवं पेस्टिसाइड के चक्कर मे पड़ गया है, ये एक भयानक रास्ता है, जो कि हमे निरन्तर कमजोर करता जा रहा है, एक हम जो खा-पी रहे हैं, उसमे धीमी मात्रा में जहर हमारे भीतर जा रहा है एवं जो खा रहे हैं, अधिक उपज लेने के लालच में, उसका स्वाद भी वो नही रहा, जैसा कि होना चाहिए था। अब इन कमजोरियों को पूरा करने के लिए हमे अपनी उर्वरक शक्ति को बढ़ाना पड़ेगा एवं प्रकृति के साथ चलकर अपने मित्र जीव केंचुवे से दोस्ती करनी होगी, उसका ख्याल रखना होगा, ताकि वह निरन्तर काम मे लगा रहे व वह ऑर्गेनिक वेस्ट को भी समाप्त कर सके व इससे बदले में हमे वर्मी-कम्पोस्ट भी प्रदान करता रहे है व दोनो तरफ से लाभ। हमे केवल केंचुवा खाद के बिसिक जानकारी जुटानी है व इस कार्य मे गंभीरता से जुट जाना है, इससे हमारे सॉलिड वेस्ट का वैज्ञानिक रूप से निष्पादन भी होता जाएगा व ये वेस्ट पुनः प्रकृति में खाद के रूप में भी हमारे समक्ष होग...

Plastic Waste Management 【poly brick】

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 "जरा सोचिये" वो कहते हैं न कि तस्वीर की भी अपनी एक भाषा होती है, गौर से देखिए इस तस्वीर को, समझ मे आएगा कि यह बच्ची प्लास्टिक की बोतल से खेल भी रही है व एक बहुत बड़ा सन्देश हम सबको दे रही है, सन्देश क्या है इस पर चर्चा करते है:- आज के दौर में हमने तो इस बच्ची के जीवन की तुलना में अपने जीवन लगभग जी लिया, इस बच्ची की तो अभी शुरुआत है, परन्तु ये प्लास्टिक/पॉलीथिन हमारे जीवन मे दानव के रूप में न जाने कहाँ से आ गया कि ये समाप्त होता नही, बल्कि इसके उत्पाद नए नए रूप में हमारे सामने आ जाते है व इस प्लास्टिक को समाप्त करने की एक विकराल समस्या हमारे समक्ष है, ये बच्ची इसी उधेड़-बुन में लगी है कि कोई तो इसे समझे ये इस बोतल में टॉफी, चॉकलेट, बिस्किट, नमकीन, शैम्पू के प्लास्टिक के रैपर को इकठ्ठा करके भर रही है व पोलीब्रिक बनाने में व्यस्त है, इसका प्रशिक्षण इसके पिता प्रदीप जी 【जेल रॉड】 निवासी इसे दे रहे है, ये अपने आप मे एक बहुत बड़ा सन्देश है कि जिस प्लास्टिक को हम बिना किसी प्रोसेस के नदी/नालों/दरिया में डाल देते है व सैंकड़ों वर्ष तक उसका प्रकृति में विघटन होना सम्भव नही व उससे ...

Plastic/ Polythene management

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किसी ग्रुप अथवा टीम में काम करने का लाभ समाज को तब मिलता है, जब उसकी अच्छी आदतों के अनुसरण अपने दिनचर्या में शामिल कर लिया जाए, ग्रुप के ही सक्रिय सदस्य पेशे से मोती बाजार में ज्वेलर्स का काम करते है व ग्रुप में प्लास्टिक प्रबन्धन को लेकर एक सुझाव दिया गया था कि घर मे टॉफी, चॉकलेट,बिस्किट,नमकीन, शैम्पू पाउच व अन्य उत्पादनों से निकलने वाले प्लास्टिक रैपर को प्लास्टिक की बोत्तल में भरना शुरू कर दें व इसे अपनी आदत का हिस्सा बना लें, इससे हमें मानसिक सकून तो मिलेगा ही व स्वच्छता में आपकी आहुति तय मानी जायेगी, इस कसौटी पर ग्रुप के अन्य सदस्यों की भांति श्री गौरव चोपड़ा जी खरे उतरे हैं। श्री गौरव चोपड़ा जी का इस सामाजिक नेक कार्य के लिये हार्दिक अभिनन्दन एवं दिल की गहराई से शुक्रिया।

स्वच्छताग्रही ही स्वच्छ भारत मिशन की वास्तविक रीढ़ है।

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🇮🇳🇮🇳🇮🇳”सफाई कर्मी स्वच्छता मिशन की रीढ़”               आमतौर से देखने में आया है कि सामुदायिक स्वच्छता के मामले में एक आम नागरिक व् एक सफाई कर्मी का छत्तीस का आंकड़ा रहता है, एक नागरिक का एक सफाई कर्मी से केवल एक शिकायत का ही रिश्ता देखा गया है। एक सफाई कर्मी के प्रति आमजन का एक दुरी का रिश्ता रहता है, उससे मन से ही दूरी रखी गयी है आजतक। उसमे अपने पन का अहसास नहीं पाया गया, जबकि अब समय ने करवट बदली है, भेदभाव कोसों दूर है, ये एक क्राइम की श्रेणी में आता है। पूर्व में इस प्रकार के काम करने वालों के लिये काफी आपतिजनक शब्दों का उपयोग किया जाता रहा है, ऐसे आपतिजनक शब्दों के उपयोग पर वर्तमान में प्रतिबन्ध है, परंतु फिर भी किसी मौकों पर किसी के मुंह से ऐसे आपतिजनक शब्दों का उच्चारण सुनने को मिल ही जाता है। इसी से इस बात की पुष्टि हो जाती है कि हमने ही खुद ऐसे लोगों से दूरी बना ली है। जबकि ये लोग ही आजकल के बहुचर्चित स्वच्छता मिशन की रीढ़ हैं, इन्हीं लोगों के दम पर हम एक स्वच्छ भारत का सपना देखते हैं। ...

Reduse treatment method of MSW

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* मार्किट में म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट को रिड्यूस एवं ऑर्गेनिक कम्पोस्ट में तबदील करने के लिए नई-2 रिसर्च हो रही है, जिससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान न हों एवं वेस्ट के भार में भी कमी आये एवं उसको रिड्यूस कर उसको ऑर्गेनिक खाद में भी तब्दील किया जा सके, जिसकी एक मार्किट में एक वैल्यू होती है, ऑर्गेनिक वेस्ट, वेस्ट नही, ये आमदनी का एक साधन होगा। इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र काफी सक्रिय है व जीवनाशित पर काफी प्रयोग अमल में लाये जा रहे है, जो कि 100% सेग्रिगेशन होने पर प्रैक्टिकल रूप से भी अप्लाई होंगें।🙏 *