स्वच्छताग्रही ही स्वच्छ भारत मिशन की वास्तविक रीढ़ है।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳”सफाई कर्मी स्वच्छता मिशन की रीढ़”
आमतौर से देखने में आया है कि सामुदायिक स्वच्छता के मामले में एक आम नागरिक व् एक सफाई कर्मी का छत्तीस का आंकड़ा रहता है, एक नागरिक का एक सफाई कर्मी से केवल एक शिकायत का ही रिश्ता देखा गया है। एक सफाई कर्मी के प्रति आमजन का एक दुरी का रिश्ता रहता है, उससे मन से ही दूरी रखी गयी है आजतक। उसमे अपने पन का अहसास नहीं पाया गया, जबकि अब समय ने करवट बदली है, भेदभाव कोसों दूर है, ये एक क्राइम की श्रेणी में आता है। पूर्व में इस प्रकार के काम करने वालों के लिये काफी आपतिजनक शब्दों का उपयोग किया जाता रहा है, ऐसे आपतिजनक शब्दों के उपयोग पर वर्तमान में प्रतिबन्ध है, परंतु फिर भी किसी मौकों पर किसी के मुंह से ऐसे आपतिजनक शब्दों का उच्चारण सुनने को मिल ही जाता है। इसी से इस बात की पुष्टि हो जाती है कि हमने ही खुद ऐसे लोगों से दूरी बना ली है।
जबकि ये लोग ही आजकल के बहुचर्चित स्वच्छता मिशन की रीढ़ हैं, इन्हीं लोगों के दम पर हम एक स्वच्छ भारत का सपना देखते हैं। इन्हीं के काम से हमें स्वच्छ वातावरण में रहने को मिलता है। परिवर्तन की आहट को महसूश कीजिये, आपकी गली में सफाई करने को आये सफाई कर्मी से प्यार से बोलिये, उनके पारिवारिक सदस्यों की जानकारी लीजिये, समाज में उसके पारिवारिक सदस्यों का कैसे उत्थान हो, उसकी कैसे मदद की जा सकती है, इस पर उससे बात की जाये, इसे नशे से दूर कैसे रहना है, इस पर उसे शिक्षित किया जाना चाहिए, क्योंकि ये लोग ही हैं जो न जाने कितनी गंदगी में रहकर भी, अपना नाक सिकोड़े बिना भी अपना रोजगार व् दायित्व का निर्वाह करते हुवे अपने काम को करते हैं, आजकल स्वच्छता के मामले में जब से जागरूकता व् आजकल विशेष स्वच्छता अभियान होने लगे हैं, हर कोई अपने हाथ में झाड़ू पकड़ने की तलाश में रहते है, परन्तु बहुत कम लोग जानते है कि ये ही वे लोग है जो किसी 8-10 दिनों से दुर्गंध वाली लावारिश लाश, सड़े जानवरों का निष्पादन करते हैं। नालियां/नालों की सफाई एक आदेश पर करते हैं।
वास्तव में ये सफाई कर्मी ही इस मिशन की रीढ़ हैं, वास्तविक हीरो हैं, इनको मेरा दिल से सलाम।
प्रदीप कुमार दीक्षित,
सफाई निरीक्षक,
नगर परिषद, मंडी,
dixitpradeep08@gmail.com




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