Vermicompost केंचुवा खाद
"केंचुवा खाद"
इसे वक्त की मांग कहिये या एक मजबूरी कहिये कि हमे अपनी उपज एवं मिट्टी में सुधार की जरूरत है, क्योंकी अधिक लाभ लेने के चक्कर मे एवं मांग की पूर्ति न होने पर आज का किसान भी यूरिया एवं पेस्टिसाइड के चक्कर मे पड़ गया है, ये एक भयानक रास्ता है, जो कि हमे निरन्तर कमजोर करता जा रहा है, एक हम जो खा-पी रहे हैं, उसमे धीमी मात्रा में जहर हमारे भीतर जा रहा है एवं जो खा रहे हैं, अधिक उपज लेने के लालच में, उसका स्वाद भी वो नही रहा, जैसा कि होना चाहिए था।
अब इन कमजोरियों को पूरा करने के लिए हमे अपनी उर्वरक शक्ति को बढ़ाना पड़ेगा एवं प्रकृति के साथ चलकर अपने मित्र जीव केंचुवे से दोस्ती करनी होगी, उसका ख्याल रखना होगा, ताकि वह निरन्तर काम मे लगा रहे व वह ऑर्गेनिक वेस्ट को भी समाप्त कर सके व इससे बदले में हमे वर्मी-कम्पोस्ट भी प्रदान करता रहे है व दोनो तरफ से लाभ। हमे केवल केंचुवा खाद के बिसिक जानकारी जुटानी है व इस कार्य मे गंभीरता से जुट जाना है, इससे हमारे सॉलिड वेस्ट का वैज्ञानिक रूप से निष्पादन भी होता जाएगा व ये वेस्ट पुनः प्रकृति में खाद के रूप में भी हमारे समक्ष होगा।


Very nice
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