पेड़ लगाओ, दुनिया बचाओ।
जब इंसान अपनी देह का त्याग करता है तो वास्तव में उसे अपने जीते जी हर प्रकार के ऋण से मुक्त होना चाहिए, ऐसा हमारे शास्त्रों में लिखा है, जो कि उचित भी है। अक्सर/आमतौर से इस दुनिया मे अधिकतम लोग अज्ञानी ऐसे भी है, जो न चाहते हुए भी प्रकृति के ऋणी हो जाते हैं। अपनी देह की अंत्येष्टि यानी दाह संस्कार के लिए 5 किवंटल सोखता {लकड़ी} की जरूरत होती है, परन्तु जीवन मे कोई पेड़ लगाया नही, उल्टा जाते समय 5 से 6 किवंटल लकड़ी लेना उसकी एवं उसके आश्रितों की मजबूरी बन जाती है, इसी प्रकार यदि हम अपने दिवंगत माता-पिता, दादा-दादी को इस प्रकृति ऋण से मुक्त करना चाहते हैं तो उनके नाम के पेड़ अवश्य लगाना चाहिए व उसकी देखभाल भी जरूर करनी चाहिए, ये समय की भी मांग है व हमारे अन्तर्मन की तस्सली के लिए भी, जब हम दुनिया छोड़ कर जाएं तो किसी प्रकार के कर्जे में न हों, ऐसा भाव हर समय रहना चाहिए व पेड़ अधिक से अधिक लगाने चाहिए।🙏

Comments
Post a Comment