स्वच्छता में जनसहयोग।
आज के दौर में अपने देश मे स्वच्छता के क्षेत्र में जो क्रांति आने लगी है, इसमे आमजन के सम्मिलित होने या कह लीजिए स्वच्छता में जनसहयोग के चलते आने लगी है। यूं तो स्वच्छताग्रहियों के द्वारा स्वच्छता सम्बन्धी कार्य सैंकडों वर्षों से किये जा रहे हैं, परन्तु अपने देश में आज़ादी के 68 वर्षों से स्वच्छता का स्तर गिरता आ रहा था, कह लीजिए शौचालयों की कमी, खुले में शौच, गार्बेज कलेक्शन का तरीका ठीक नही, ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था उचित नही, डंपिंग सिस्टम खुले में, ये सभी चुनोतियाँ हमारे समक्ष हैं। पिछले 4-5 वर्षों से स्वच्छता एवं सफाई के हर क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, उसने एक सकारात्मक पहलू है, स्वच्छता में आमजन की रुचि/स्वच्छता में जनसहयोग, लोग खुल कर सामने आए हैं व सामुदायिक स्वच्छता में बढ़चढ़ कर सहयोग करने में लगे है। जाहिर सी बात है अस्वच्छता से समाज मे न जाने कितनी बीमारियां फैलती हैं व गंदगी किसे पसन्द है, हर कोई स्वच्छता चाहने लगा है, इससे अपने स्वच्छताग्रहियों का मनोबल में भी वृद्धि हुई है व स्वच्छता के स्तर में भी क्रांतिकारी हिजाफ़ा हुवा है।
स्वच्छता में जबतक आमजन की भागीदारी सुनिश्चित नही होगी, स्वच्छता के स्तर में सुधार आना मुश्किल है, स्वच्छता के प्रति आमजन की सोच एवं व्यवहार में परिवर्तन तभी सम्भव है, जब उसे स्वच्छता के किसी भी एक पहलू से जोड़ लिया जाये, न चाहते हुवे भी उसकी रुचि स्वच्छता के काम मे उसकी बन जाएगी व स्वच्छता के क्रियाकलाप से वह खुद-ब-खुद जुड़ जायेगा। अन्य विकसित देशों की तुलना में अपने देश मे स्वच्छता का स्तर इसीलिये नीचे है, क्योंकि हमारी सोच केवल अपने घर को ही साफ करने तक है, ये परिवर्तन तभी सम्भव होगा जब हम अपने मोहल्ले/वार्ड/गावँ/शहर को अपना घर मानने लगेंगें। नगर परिषद के स्वच्छताग्रहियों में भी अपनापन का अहशश करेंगें व समझने लगेंगें कि ये स्वच्छताग्रही अपने शहर यानी अपने घर की स्वच्छता में कितने सहायक है। हमे चाहिए कि हम अपने वार्ड/मोहल्ले स्तर पर समितियां बनाकर साप्ताहिक, पखवाडे अथवा मासिक स्तर पर श्रम-दान देकर अपने आसपास के क्षेत्र में स्वच्छता के स्तर को सुधारने में सहायक भूमिका का निर्वाह बड़ी आसानी के साथ कर सकते हैं। इससे निरंन्तर स्वच्छता के स्तर में सुधार होता रहेगा व स्वच्छताग्रही भी आपके इस योगदान को नही भूलेंगे व उनका भी निरन्तर विश्वास जगेगा।🙏
स्वच्छता में जबतक आमजन की भागीदारी सुनिश्चित नही होगी, स्वच्छता के स्तर में सुधार आना मुश्किल है, स्वच्छता के प्रति आमजन की सोच एवं व्यवहार में परिवर्तन तभी सम्भव है, जब उसे स्वच्छता के किसी भी एक पहलू से जोड़ लिया जाये, न चाहते हुवे भी उसकी रुचि स्वच्छता के काम मे उसकी बन जाएगी व स्वच्छता के क्रियाकलाप से वह खुद-ब-खुद जुड़ जायेगा। अन्य विकसित देशों की तुलना में अपने देश मे स्वच्छता का स्तर इसीलिये नीचे है, क्योंकि हमारी सोच केवल अपने घर को ही साफ करने तक है, ये परिवर्तन तभी सम्भव होगा जब हम अपने मोहल्ले/वार्ड/गावँ/शहर को अपना घर मानने लगेंगें। नगर परिषद के स्वच्छताग्रहियों में भी अपनापन का अहशश करेंगें व समझने लगेंगें कि ये स्वच्छताग्रही अपने शहर यानी अपने घर की स्वच्छता में कितने सहायक है। हमे चाहिए कि हम अपने वार्ड/मोहल्ले स्तर पर समितियां बनाकर साप्ताहिक, पखवाडे अथवा मासिक स्तर पर श्रम-दान देकर अपने आसपास के क्षेत्र में स्वच्छता के स्तर को सुधारने में सहायक भूमिका का निर्वाह बड़ी आसानी के साथ कर सकते हैं। इससे निरंन्तर स्वच्छता के स्तर में सुधार होता रहेगा व स्वच्छताग्रही भी आपके इस योगदान को नही भूलेंगे व उनका भी निरन्तर विश्वास जगेगा।🙏

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