Solid waste management

आज के दौर में हम जूझ रहे हैं, सॉलिड वेस्ट से, सॉलिड वेस्ट में भी न जाने कितने प्रकार के वेस्ट आ चुके हैं, जिनका की उनकी प्रकृति के हिसाब से निष्पादित होना ही स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए हितकारी होता है। जैसे कि ई0-वेस्ट, हैजर्ट वेस्ट, बायोडिग्रेडेबल वेस्ट, नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट, बायोमेडिकल वेस्ट इत्यदि। परन्तु आमतौर से ऐसा नही हो पा रहा है, जिस कारण राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण सख्त रवैया अपनाने को विवश है। इसी असन्तुलन के चलते वर्ष 2018 में वर्षा ऋतु के मौसम में सोलन में अश्वनी खड्ड को प्लास्टिक नदी के रूप में दुनिया ने देखा।
हम बात करना चाहते हैं नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट के उचित निष्पादन की, इसके अंतर्गत प्रकृति में शीघ्र रूप से न मिलने वाला मेटीरियल आता है, जिसमे प्लास्टिक पॉलीथीन मुख्य तत्व हैं, जिसका कि वातावरण में शीघ्र लौटना बड़ा कठिन है व आज के दौर में हम इसके चलन के आदि भी हो चुके हैं, ये प्लास्टिक 【पॉलीथिन】हमारी जीवन का अंग बन चुका है। वातावरण को इसकी 【पॉलीथिन】व्यापक हानि होने की जानकारी के उपरांत भी हमारी सरकारें इसके पूर्ण प्रतिबंध पर विवश हैं, वातावरण को होने वाले नुकसान एवं दुष्प्रभाव से बचाने के लिए हमे केवल इसके विस्तार से जानकारी होनी चाहिए एवं जागरूकता एवं स्वंम से इसके इस्तेमाल से त्रिस्कार/विमुख होना चाहिए।
आज के दौर में जहां सॉलिड वेस्ट के उचित निष्पादन के व्यापक स्तर पर तकनीकी हमारे समुख आ रही है व क्रिएटिव विचार भी इसमे सहायक भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं। प्लास्टिक की बोटल एवं आम जीवन मे होने वाले उपयोग वाली सामग्री जैसे टॉफी,चॉकलेट, नमकीन, बिस्कीट, गुटका, खैनी व शुष्क मेटीरियल वाला पॉलीथिन को हम अपने जीवन मे न चाहते हुवे भी प्लास्टिक की बोतल में भरकर रख सकते है व किसी लकड़ी अथवा लोहे की छड़ से उस वेस्ट प्लास्टिक के कचरे को ठूस-2 कर भर सकते हैं, निसन्देह ये प्रक्रिया हमारे जीवन मे उपयोग होने वाले 20 से 30 दिन के पॉलीथिन का प्रबंध तो कर ही देगी। यदि हम ऐसा न कर पाए तो सोचिये ये कचरा वातावरण में क्या करेगा व इसे कौन निष्पादित करता, है न बड़ा प्रश्न। यदि ये अभ्यास शहर में हर घर मे होने लगे तो समझीये ये प्लास्टिक वेस्ट देखने को भी नही मिलेगा व इस पैकड बोतल का इस्तेमाल किसी दीवार, ढंगा में बड़ी आसानी से किया जा सकता है।
नोट:- यह क्रियेटिव विचार श्री आर0के0 परुथी जी सदस्य सचिव हि0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शिमला द्वारा सुझाया गया है।
आज के दौर में हम जूझ रहे हैं, सॉलिड वेस्ट से, सॉलिड वेस्ट में भी न जाने कितने प्रकार के वेस्ट आ चुके हैं, जिनका की उनकी प्रकृति के हिसाब से निष्पादित होना ही स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए हितकारी होता है। जैसे कि ई0-वेस्ट, हैजर्ट वेस्ट, बायोडिग्रेडेबल वेस्ट, नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट, बायोमेडिकल वेस्ट इत्यदि। परन्तु आमतौर से ऐसा नही हो पा रहा है, जिस कारण राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण सख्त रवैया अपनाने को विवश है। इसी असन्तुलन के चलते वर्ष 2018 में वर्षा ऋतु के मौसम में सोलन में अश्वनी खड्ड को प्लास्टिक नदी के रूप में दुनिया ने देखा।
हम बात करना चाहते हैं नॉन-बायोडिग्रेडेबल वेस्ट के उचित निष्पादन की, इसके अंतर्गत प्रकृति में शीघ्र रूप से न मिलने वाला मेटीरियल आता है, जिसमे प्लास्टिक पॉलीथीन मुख्य तत्व हैं, जिसका कि वातावरण में शीघ्र लौटना बड़ा कठिन है व आज के दौर में हम इसके चलन के आदि भी हो चुके हैं, ये प्लास्टिक 【पॉलीथिन】हमारी जीवन का अंग बन चुका है। वातावरण को इसकी 【पॉलीथिन】व्यापक हानि होने की जानकारी के उपरांत भी हमारी सरकारें इसके पूर्ण प्रतिबंध पर विवश हैं, वातावरण को होने वाले नुकसान एवं दुष्प्रभाव से बचाने के लिए हमे केवल इसके विस्तार से जानकारी होनी चाहिए एवं जागरूकता एवं स्वंम से इसके इस्तेमाल से त्रिस्कार/विमुख होना चाहिए।
आज के दौर में जहां सॉलिड वेस्ट के उचित निष्पादन के व्यापक स्तर पर तकनीकी हमारे समुख आ रही है व क्रिएटिव विचार भी इसमे सहायक भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं। प्लास्टिक की बोटल एवं आम जीवन मे होने वाले उपयोग वाली सामग्री जैसे टॉफी,चॉकलेट, नमकीन, बिस्कीट, गुटका, खैनी व शुष्क मेटीरियल वाला पॉलीथिन को हम अपने जीवन मे न चाहते हुवे भी प्लास्टिक की बोतल में भरकर रख सकते है व किसी लकड़ी अथवा लोहे की छड़ से उस वेस्ट प्लास्टिक के कचरे को ठूस-2 कर भर सकते हैं, निसन्देह ये प्रक्रिया हमारे जीवन मे उपयोग होने वाले 20 से 30 दिन के पॉलीथिन का प्रबंध तो कर ही देगी। यदि हम ऐसा न कर पाए तो सोचिये ये कचरा वातावरण में क्या करेगा व इसे कौन निष्पादित करता, है न बड़ा प्रश्न। यदि ये अभ्यास शहर में हर घर मे होने लगे तो समझीये ये प्लास्टिक वेस्ट देखने को भी नही मिलेगा व इस पैकड बोतल का इस्तेमाल किसी दीवार, ढंगा में बड़ी आसानी से किया जा सकता है।
नोट:- यह क्रियेटिव विचार श्री आर0के0 परुथी जी सदस्य सचिव हि0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शिमला द्वारा सुझाया गया है।

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