Pure water is life
आगे समाचार है की इस विषय पर लिखने का विचार तब आया, जब हमारे प्रदेश की राजधानी व् सोलन से पीलिया के भारी मात्रा में केस की सुचना आने लगी कि दूषित जल के कारण पीलिया महामारी के कारण लोग अपनी बहुमूल्य जान से हाथ धो बैठ रहे हैं, क्योंकि पीलिया जलजनित रोगों की श्रेणी में आता है।
हमारे शरीर में 80 प्रतिशत पानी की मात्रा पायी जाती है। यदि कहा जाये कि यही पानी जीवन है, तो इसमें कोई अतिशियोक्ति न होगी, अब यही पानी हमारे जीवन के विनाश का कारण बन जाये तो समझीये कि समय आ गया है, जब इंसान इंसान की जान लेने के लिए काम कर रहा हो, पानी को शुद्ध करने की तकनिकी कागजों तक ही सिमित हों, प्रैक्टिकल कुछ भी न हों, तो एक आम इंसान अपनी जान से ही हाथ धोएगा। प्रकृति का एक नियम है कि कितना भी विषैला पानी क्यों न हो, यदि वो निरंतर बहता रहेगा तो उसका विसैलापन समाप्त हो जाता है। परंतु इंसान की विकृत सोच रूपी पानी खड़ा हो गया है व् दूषित हो गया है, तब इंसान पर उसका असर दिखना लाजमी है।
हमारी पृथ्वी ग्रह पर उपयुक्त पानी होने के कारण इसे नीला ग्रह की संज्ञा भी दी गयी है, इसिलिय यहाँ जल है तो ही जीवन है, पुराने समय में मानव सभ्यता का विकास भी आमतौर से नदियों के किनारे ही पाया गया है, यदि प्रकृति ने हमें शुद्ध पानी दिया है, तो इसकी शुद्धता को बनाये रखना भी हमारा दायित्व है। इसका जलस्तर बनाये रखना भी मानव जाति का प्रथम कार्य होना चाहिये, परंतु वास्तव में इसके विपरीत हो रहा है, इंसान की प्रलोभन सोच ने जंगलों को काटना शुरू कर दिया, जिससे पानी से जंगलों का कटाव होना आरंभ हो गया व् जंगली जानवरों ने मानव के क्षेत्र में आंतक मचाना शुरू कर दिया, दूसरी और प्रदूषित औधोगिक इकाईयों के द्वारा जल स्रोतों की शुद्धता के तारतम्य को गड़बड़ा दिया है, जिस कारण हमारी माता के स्तनों में भी विषाक्त का खतरा बन गया है व हमारी आने वाली पीढ़ी खतरे से खाली नहीं है। इस दोष में हम सभी बराबर के दोषी है, हम केवल आज का सोचते है, भविष्य की हमें परवाह नहीं, जब्कि आने वाली पीढ़ी का भविष्य ही उनका वर्तमान होगा, तो फिर उससे खिलवाड़ क्यों?
किसी ने कहा है, जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन, जैसा पियोगे पानी वैसी बनेगी वाणी। अन्न व् पानी के ऊपर इंसान की सोच निर्भर करती है, इसमें कोई दो राय नहीं। इसलिये हमें चाहिए की हम ऐसा काम करें कि पानी की गुणवत्ता पर उसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े व् पानी का सदुपयोग करें, व्यर्थ में पानी का इस्तेमाल को रोकें। पानी के लीकेज की सुचना प्रशासन को समय पर देते रहें, चाहे वो लीकेज आपके घर की हो अथवा किसी अन्य पाइप लाइन की, ये हम सब का सामूहिक दायित्व है कि हम सभी सिस्टम को कायम करने में प्रशासन का साथ दें व् जागरूक भूमिका निभाएं, तभी बनेगी बात।
सफाई पर्यवेक्षक,
नगर परिषद् पांवटा साहिब, हि0प्र0।
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