Sanitation problem & challange

⛺ वैसे काफी कमियां है, हमारे काम में, हमारे सिस्टम में, सुधार की काफी गुन्जाईस लगती है, पर जब दूसरे शहर से तुलना करता हूँ तो स्थिति सन्तोष की हो जाती है, बात करें, प्रतिदिन स्वीपिंग की, गार्बेज कलेक्शन की, कूड़ेदानों से गार्बेज रिमूव के अभ्यास की तो हमें अपने शहर की व्यवस्था से संतोष मिलता है।
आज सहारनपुर जाने का मौका मिला, मेरी नजर वहां की सफाई व्यवस्था पर ही रही, तो देखकर दंग रह गया, भीड़भाड़ वालों स्थानों पर ही गार्बेज के अम्बार देखकर व् जामा मस्जिद वाले पवित्र स्थान पर भी इतनी गंदगी देखकर, हैरान हुवा वहां पर पॉलीथिन के खुलकर प्रयोग करने व् हर दुकानदार के द्वारा  निसंकोच भाव से अपने ग्राहक को दिए जाने, हैरान हुवा वहां पर स्थानीय लोगों में जागरूकता के आभाव की कमी से।
इस हिसाब से अपने शहर के नागरिक व् नगर परिषद की अपनी टीम जागरूकता, गार्बेज कलेक्शन, ट्रांसपोर्टेशन, के मामले में काफी आगे है, स्वच्छता एवं सफाई में स्थानीय लोगों की सोच काफी मायने रखती है, ये ही इसकी आधारशिला का निर्माण करती है। जब तक लोगों की सोच परिपक्व न होगी, लापरवाही बरतेंगे, इस काम में लगे सरकारी तंत्र भी परवाह नहीं करेंगे, हमारे लोग की सोच विकसित हो चुकी है, गंदगी की रिपोर्ट तुरन्त आती है। जागरूक है सभी, सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग किया जा रहा है, फेअबुक व् व्हाट्सअप पर गृप में आमजन से जुड़ा जाता है, यही से फीडबैक मिलता है। परन्तु अभी काफी कुछ किया जाना है, इस क्षेत्र में, अभी एक दो माह में भूमिगत गार्बेज बिन का भी काम अपने शहर में होने वाला है, हर गली को सफाई कर्मी द्वारा जोड़ा जाना प्राथमिकता होगी, हर शिकायत का निपटारा प्रतिदिन सुनिश्चित करने की योजना बनायी जानी है। आप सभी से सहयोग की अपेक्षा रहेगी। धन्यवाद।
सफाई पर्वेक्षक,
नगरपरिषद पांवटा साहिब।

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