Garbage Management

गार्बेज प्रबन्धन (Garbage management):-
गार्बेज प्रबन्धन को लेकर हर देश की अपनी अपनी एक प्रस्थिति हो सकती है, इसकी सफलता का आंकड़ा वहां के निवासियों के मनोमस्तिष्क पर निर्ब्जर करता है कि उनका अपने समाज, वातावरण के प्रति कैसा रवैया है, इसके बारे में वे क्या सोचते है व्र्त इस बारे में उनकी आर्थिक स्थिति क्या है। वर्तमान समय में हिंदुस्तान की लगभग किसी भी शहरी निकाय की  गार्बेज प्रबन्धन की स्थिति पर नजर दौड़ाएं, तो खुद-ब-खुद अव्यवस्थित की स्थिति महसूश होगी। हर शहरी निकाय गार्बेज से लड़ती दिखाई देती है, गार्बेज का उचित प्रबन्धन, उसका वैज्ञानिक पदत्ति से निवारण किया जाना हर निकाय के लिए एक समस्या बनता जा रहा है, टी0वी0 में समाचार के माध्यम से व् समय समय पर इस पर होने वाली चर्चा एवम गोष्ठियों से ये बात तो खुलकर आईभी कि इस समस्या से समय रहते सही ठंग से न निपटा गया तो ये अपने समाज के लिये काफी घातककारी सिद्ध होने वाली है। एक ओर जनसंख्या विस्फोट ने शहर में आतंक मचा रखा है, दूसरी ओर जागरूकता के अभाव के कारण इस समस्या को हवा मिल रही है, तीसरी कमी अपने काम के प्रति समर्पित भाव की कमी कह लीजिये, इसका भी अभाव् नजर आता है। अब इस समस्या से निजात कैसे पाई जाये, जबकि सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत काफी कुछ किये जाने के लक्ष्य भी निर्धारित कर दिए गए है व् इसके लिए जोर भी दिया जा रहा है, आज के समय में स्वच्छता हर किसी की जरूरत है।  इस समस्या के निवारण के लिये निम्न पग उठाये जाने नितांत आवश्यक हैं:-
1. जागरूकता शिविर { Public awareness} का आयोजन:- इसके अंतर्गत हमें अपनी गली/मोहल्ले/वार्ड स्तर से लोगों में स्वच्छता एवम सफाई के मामले में सभी प्रकार के गुण/दोषों का व्यख्यान करते हुवे सभी को जागरूक करते चलना है व् इस कड़ी से जोड़ते हुवे आगे का रास्ता तय करना है, सभी लोग इस प्लेटफॉर्म पर आने शुरु हो जाएंगे। जागरूकता हमें हर स्तर पर की जानी है, चाहे स्कूल हों, कॉलेज अथवा किसी भी प्रकार का शिक्षण संस्थान हो, सभी स्तर पर हमें जागरूकता को व्यवस्थित करना होगा व् हर जनमानस से स्मृति पटल पर दर्ज करना होगा अब समय परिवर्तन का है व् हम सभी को अपनी सोच बदलनी होगी तभी हम स्वछता एवं सफाई के मामले में विकसित देशों की श्रेणी में खड़े दिखाई देंगे।
2. Garbage Collection Door to Door:- अब सभी लोग जागरूक है, उनका मनोनास्तिष्क परिवर्तन की ओर है, अब आपको गार्बेज प्रबन्धन के लिये सभी को सुविधा भी प्रोवाइड करनी है, यानि घर घर से गार्बेज एकत्रित किया जाना है। ये भी 100% होगा, तभी मन्ना होगा कि हम सफलता की सीढ़ी पर अग्रसर हैं।
3. Segregation at source:-  अब ये जरुरी हो जाता है कि गार्बेज के उचित निष्पादन हेतु गार्बेज का वर्गीकरण यानि सेग्रीगेशन कर लिया जाए, सेग्रीगेशन होने से गार्बेज की लड़ाई आधी रह जाती है, क्योंकि सेग्रीगेशन से बायोडिग्रेडेबल वेस्ता व् नॉन- बायो-डीग्रेडेबल वेस्ट की छंटनी से गार्बेज के प्रोसेसिंग में कम खर्च करना होगा। व् गार्बेज को 70-80 प्रतिशत कम किया जा सकता है।
4. कूड़े-कचरे का निष्पादन (Processing of garbage):- अब आ जाता है जो सेग्रीगेटेड कचरा है उसका ट्रेटमेंट करके उसको पुनः वातावरण में लौटने की ओरक्रिया को अमलीजामा पहनाया जाये, इसके लिए विभिन्न तकनीक का उपयोग कर गिला कचरा यानि जीव-नाशित कचरे को पारंपरिक तरीके से हीप तकनीक, या फिर पिट बनाकर कम्पोस्ट में तबदील किया जा सकता है, आजकल लेटेस्ट तकनीक भी मार्किट में मौजूद है, यदि अधिक मात्रा में वेस्ट उपलब्ध है तो इसे बायोगैस में भी बदला जा सकता है। सूखे कचरे यानि जीव-अनाशित वेस्ट के कचरे में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती, के आमतौर से पुनः चक्रित वेस्ट होता है, इससे कबाड़ी वाले को भी आमदनी होती है, व् सीमेंट फैक्ट्री में ईंधन के रूप में उपयोग लाया जा सकता है। काफी मात्रा में होने पर बिजली बनाने का भी सयंत्र लगाया जा सकता है।
कहने का अभिप्राय है कि कचरा समाज से ही उत्पन्न होता है व् इसके उचित निष्पादन के लिये समाज को ही सजग होना होगा। क्या जंगलों में वातावरण दूषित होते सुना है किसी ने? नहीं न। यदि समाज में इस सॉलिड वेस्ट के उचित निष्पादन पर समय रहते काम न किया गया तो ये हमारे समाज के लिए गंभीर खतरा उतपन्न हो जायेगा।
Pradeep Dixit
Sanitary Supervisor,
M.C.Paonta Sahib H.P.
dixitpradeep08@gmail.com

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