Pathetic condition of Godhan 【cows】
बड़े दुखी मन से लिखना पड़ रहा है कि जहां अपने देश मे गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात चलती है व हिन्दू संघठन भी इस विषय में पीछे नही रहते, आये दिन गोधन पकड़े जाने की खबरे सोशल मीडिया में सुनने को मिल जाती है। सरकार एवं माननीय न्यायालय भी इस विषय पर नीतियां बना चुकी है, निर्णय सुना चुकी हैं, परन्तु धरातल पर गोधन की स्थिति दयनीय है, हर कोई अपना पालतू गोधन, जो कि दूध नही देता अथवा मालिक उसे बोझ समझने लगा है, बिना किसी डर के खुले में छोड़ देने का अभ्यासी हो चुका है। हालांकि हि0प्र0 सरकार द्वारा समय-2 पर गोधन की गणना भी करवाती है व उसके लिए टैगिंग भी की जाती है, ताकि गोधन के मालिक की पहचान हो सके, परन्तु ऐसा लगता है कि ये सभी कार्य मरे हुवे मन से किये जाते है व इस कार्य पर होने वाला सरकारी व्यय किसी काम का नही।वरना अपने प्रदेश में गोधन की इतनी बुरी दशा न होती कि हर कोई गोपालक अपने बेकार/फ़ंडर पशु को खुले छोड़ने की फिराक में हो, व ऐसे पशुओं को खुली सड़कों पर दुर्घटना के लिए छोड़ दिया जाता है, क्या नलवाड़ जैसे मेलों में जो व्यक्ति अपने पशुओं की खरीद-फरोख्त के लिए आते हैं क्या उनका नियमित पंजीकरण नही होता, क्या जो पशु बिक्री नही हो पाते क्या उन गो-पालकों को अपने पशु खुले में छोड़ने की अनुमति कौन देता है, क्या ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही अमल में नही लायी जानी चाहिये, जो केवल दूध अथवा पैसा ही देखते है व उनके भीतर सेवा-भाव लेशमात्र भी नही है, ऐसी सूचना नित रोज सुनने को मिल रही है कि गाय को गाड़ी वाला टक्कर मार गया, गाय नाले में गीर गयी। ऐसी परिस्थिति बनती ही क्यों है, इसमे कमी कहाँ व किसकी है? ये एक गंभीर प्रश्न बार-2 अपने मन को कोंचता है, हम केवल नाम के हिन्दू हैं, कर्म से नही, एक मुस्लिम गो हत्या करता है तो देश मे कोहराम की स्थिति बन जाती है, परन्तु वही गाय यदि पॉलीथिन खाती है तो कोई बात नही, सड़कों पर खुली हो तो कोई बात नही, किसी को मार दे तो कोई बात नही, सिस्टम में कमी तो दिखती है, इसका हल भी सरकार को निकालना चाहिए।
आज राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक बेसहारा गाय को कोई गाड़ी वाला ठोक गया व वह बेसहारा गाय असहाय मुद्रा में सड़क के किनारे पड़ी रही, शाम तक एक मित्र श्री शरद मल्होत्रा जी, कृष्ण कुमार सूबेदार मित्र, डॉ0 घनश्याम एवं फार्मासिस्ट श्री हेमराज अत्री जी की मदद से प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की गई, ताकि उसकी रात चैन से कट जाये, बाकी कल प्रातः देखा जायेगा, इस गाय का क्या किया जाये, परंतु अंत मे यही कहना चाहूंगा कि ये इंसान कितना अवसरवादी हो चुका है, जब तक इस गाय ने दूध दिया तो ये गाय उस घर की शान थी, आज दूध नही देती तो छोड़ दिया सड़क पर मरने को।
प्रदीप दिक्षित,सफाई निरीक्षक,
नगर परिषद मंडी।



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ReplyDeleteजय हिंद।
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