Autobiography of Dustbin
🌴कूड़ेदान की आत्मकथा🌴
मेरा जन्म इंसान की जरूरत को देखते हुवा है, जब्कि इंसान के द्वारा ही मेरी इतनी दुर्गति की जाती है, जिसका वर्णन करने की हिम्मत मैंने जुटाई है।
मेरी जरूरत हर घर, गली, मोहल्ले व् सार्वजनिक स्थानों पर होती है। जब मेरा निर्माण होता है तो काफी चमक दमक होती है। जब मेरी मांग होती है, तो बड़ी शान के साथ रख दिया जाता हूँ, उस समय मैं सभी के काम आता हूँ।
मुझे दुःख तब होता है जब लोग मुझे बास्केट बॉल की तरह इस्तेमाल करते हैं व् कचरे को दूर से निशाना बनाते हैं व् चूक जाने पर कचरा खुले में पड़े रहने से मेरा निरादर होना शुरू हो जाता है। जो लोग मेरा उपयोग सही रूप से करना भी चाहते हैं इन्हें मज़बूरी में कचरा बाहर ही डालना पड़ता है, उनकी मज़बूरी हो जाती है।
मैं बहुत से परिवारों की आजीविका का साधन भी हूँ, कचरा बीनने वाले मेरे भीतर आने से भी गुरेज नहीं करते, अपने मतलब का सामान निकाल कर उसे कबाड़ियों के यहाँ बेच कर अपने परिवार का लालन पालन करते है। एक व्यक्ति recycle meterial निकाल कर प्रतिदिन औसत 500/- रु0 प्रतिदिन बना ही लेता है, इससे मुझे काफी गर्व की अनुभिति होती है। मुझे अपने ऊपर काफी ग्लानि महसूश होती है जब बहुत से लोग अपनी नाक बंद करके मेरे पास से गुजरते हैं व तब गर्व महसूश करता हूँ जब बहुतों के परिवार का पालन पोषण का मैं ही एक कारण हूँ।
जब से हमारे देश के माननीय प्रधान मंत्री जी ने स्वच्छ भारत मिशन की अलख जगाई है, तबसे तो मार्किट में मेरे दीवानो की लाइन ही लग गयी है, छोटे से छोटा इंसान मुझे अपने घर में स्थान देने के लिए ललायित है व् हर कोई मुझे बड़ी गहराई से देखने लगा है। मेरे सामने खड़े होकर मेरी फ़ोटो भी लेने लगे है कई तो। उस फ़ोटो का वे सोशल मीडिया में मेरी पब्लिसिटी भी करते हैं कि मैं किस हाल में जी रहा हूँ, लोग मेरी कितनी व् कैसी परवाह कर रहे है। कुछ स्वम् सेवक घर-घर जाकर भी मेरा प्रचार करने में लगे हैं व् मेरी महत्ता को समझाने में लगे है। फिर भी कुछ अज्ञानी लोग नहीं समझ रहे, बच्चों की बात। ये इंसान भी कितना मतलबी हो गया है, जहाँ भी रहता है, गंदगी डालता है, इससे बेहतर तो जानवर है, जो जंगलों में रहते है पर पर्यावरण को नुक्सान नहीं पहुंचते।
अब तो मेरे नए-2 रूप के बिन बाजार में आ गए है। आटोमेटिक मशीन भी मेरा उपयोग करने लगी हैं। जी0पी0एस0 सिस्टम से लैस के भी मेरे रूप मार्किट में आने के लिए तैयार हैं, मैं चिंतित इसलिए हूँ कि मेरी बेकद्री न हो जाये, लोग कचरा बाहर न फैंके बस, यही मेरी अंतिम इच्छा है।
भवदीय,
कुड़ापत्र।
अपील:- मेरी महत्ता को समझें, सही उपयोग करें व् अपनी सज्जनता का परिचय दें”

Good, very nice.
ReplyDeleteNice
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