Importance of community Participation in sanitation




स्वच्छता सभाओं का गठन क्यों है जरूरी:- जिस प्रकार किसी भी सामाजिक कार्य के लक्ष्य की पूर्ति उस समाज के लोगों की प्रबल इच्छा शक्ति पर निर्भर करती है व जितनी अधिक उस समाज की प्रबल इच्छा शक्ति होगी, उतनी सफलता उस क्षेत्र के समाज के सामने होगी।
अब बात करते है स्वच्छता के क्षेत्र की, सबसे पहले बात करते हैं व्यक्तिगत स्वास्थ्य की, एक व्यक्ति अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य की कितनी गहनता के साथ देखरेख करता है, कहने की बात नही, समय से नहाना, नाखून काटना, हाथ सिस्टम से धोना, इत्यदि। 
अब बात करते है अपने घर की स्वच्छता की, घर/दुकानों में प्रतिदिन झाड़ू लगाते हैं सभी पोचा भी लगाते हैं, डस्ट/मिट्टी को भी साफ़ करते हैं, यानी पूरी तन्मयता के साथ अपने घरों/दुकानों की स्वच्छता व्यवस्थित की जाती है।
अब बात आती है सामुदायिक स्वच्छता की, क्या हम अपने गावँ, शहर, देश को अपना घर नही मानते, अपने घर से बाहर निकलते ही हमे न जाने क्या हो जाता है कि एक टॉफी का रैपर, केले का छिलका, गाड़ी के भीतर से बोतल को हम खुले में फेंकने से संकोच नही करते। ये हमारे स्वभाव का हिस्सा बन चुका है, ये ही एक कारण नजर आता है कि हम सामुदायिक स्वच्छता में पिछड़ते नजर आ रहे है। इसके विपरीत विदेश में जाते ही वहां के नियम हम तुरन्त फॉलो करने लगते है। ऐसा क्यों है, गंदगी तो वहां भी फैलाई जा सकती है, परन्तु वहां का समाज ऐसा करने की अनुमति नही देगा, आप को स्वंम ही अटपटा लगेगा, कि आप स्वंम गलती पर हैं व हम वैसा करने लग जाते है, जैसा वहां का सिस्टम अनुमति देता है। इसी विषय पर एक किस्सा याद आया, एक भारतीय विदेश की धरती पर ट्रेन में सफर कर रहा था कि उसने अपने जूते वाले पैर सामने वाली सीट पर रख दिये, तो वहां बगल में बैठी एक विदेशी महिला सब देख रही थी, उससे रहा नही गया, इस व्यक्ति को राह पर लाने के लिए उसने एक युक्ति का प्रयोग किया, उसने अपने पर्स से रुमाल निकाला व उससे एक्सक्यूज़ मी, कहकर पैर हटाने का निवेदन किया व फिर उस स्थान पर रुमाल रख दिया, फिर उससे कहा कि अब आप पैर रख सकते हो, उसने कहा कि आपके जूते वाले पावँ रखने से ट्रेन गंदी हो रही थी इसीलिये रुमाल रखना पड़ा, उस व्यक्ति को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी। तो अपने वतन, अपने सिस्टम से हमे भी जुड़ाव होना चाहिए, चाहे ट्रैन यानो सरकारी संपत्ति हो अथवा सामुदायिक स्वच्छता का विषय हो। 
वार्ड सभा का गठन होना प्रतीक है स्वच्छता एवं सफाई जैसे गंभीर मामलों में आमजन/समुदायों की भी सहभगिता सुनिश्चित की जाए, आम लोगों को वार्ड सभा के द्वारा विशेष रूप से समिति बनाकर उनको संगठित किया जाए, जो अपने-2 क्षेत्रों में स्वच्छता एवं सफाई के विषय को हैंडल करें, जाहिर सी बात है कि जो समश्या एक वार्ड मोहल्ले की है, वह उस वार्ड सभा मे आने पर तुरन्त निपटाई जा सकेगी, क्योंकि ये नीति/विचार एक पारदर्शी विचार है, इसमे एक स्वच्छताग्रही कि भी जिमेवारी तय है व एक ठेकेदार की भी व नगर परिषद/स्थानीय निकाय तो इससे पूर्ण नीति से बंधी है, इसी के दायरे में यदि काम सुनिश्चित होगे तो निसन्देह स्वच्छता एवं सफाई के काम मे परिवर्तन सुधार देखने को मिलेंगें। ये स्वच्छता सभाएं वार्ड के सभी समश्याओ के निपटान की एक धुरी बन जाएगी।
【प्रदीप दीक्षित】
स्वच्छता निरीक्षक,
नगर परिषद मंडी हि0प्र0।
ई मेल-dixitpradeep08@gmail.com

Comments

  1. Very nice, it is truth that we don't take care of our surrounding.

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  2. Very nice, it is truth that we don't take care of our surrounding.

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  3. यदि थोड़ा-थोड़ा प्रयास सभी करेंगे तो काम कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है

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